Authors : S. Shrivastav* and Ramshankar
Page Nos : 274-278
Description :
किसी भी देश के सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक परिवर्तन आज की आर्थिक स्थिति उस देश की कलाकृति में स्पष्ट
प्रतिबींबित होता है । समाज में व्याप्त सामूहिक व्यवस्था और प्रवृत्ति के साथ-साथ आर्थि क दृष्टिकोण भी कला के संरक्षण में विशेष
महत्व रखता है । विशेषतः जब कलाकार व शिक्षक अपनी कला को उदर पोषण का माध्यम बनाए। संगीत में प्रत्यक्ष व परोक्ष दोनों
ही रूपों से इस कला में रोजगार की अपार संभावनाएं है । इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि बाल्यावस्था से बहुआयामी संगीत
कला के प्रशिक्षण हेतु वांछित व्यवस्थाएं होनी चाहिए क्योकीं यह मानव जीवन की सर्वाधिक उर्वर अवस्था है । इसी अवस्था में
मजबूत हुई संगीत कला की अभिरुचि आने वाले समय में कला परिष्कार व उससे प्राप्त होने वाले रोजगार माध्यमों को प्राप्त
किया जा सकता है।