Authors : मनीष पटेल
Page Nos : 290-294
Description :
मनुष्य की योग्यता, उसके आचरण में अभिव्यक्त होती है जो संसार को रूपान्तरित भी करता है और व्यक्त भी करता है। मनुष्य का आचरण उसका कर्म भी है और उसकी भाषा भी। भाषा, संस्कृति का वाहक होती है, इसलिये भाषा पर विषेष ध्यान दिया जाता है। कहना न होगा कि साक्षरता की भी सांस्कृतिक भूमिका होती है भाषा के माध्यम से जिन लोगों की आकांक्षा और इच्छा की अभिव्यक्ति होती है, भाषा के विकास के साथ उसको अर्थ देने का काम भी उन्हीं को करना चाहिए। बाल्यकाल में ही सामंतवादी, पूँँजीवादी, साम्राज्यवादी, नस्लवादी और फासीवादी उत्पीड़न के अलग-अलग रूपों से उनका परिचय हो गया था। उनको अपने परिवार की वास्तविक व कठोर परिस्थितियों का भी प्रत्यक्ष अनुभव हो गया था। इन्हीं समस्याओं से जूझते हुये अपनी षिक्षा पूर्ण की तथा शोध उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् 1959 में वे रेसिफे विष्वविद्यालय में षिक्षा के इतिहास तथा दर्षन के आचार्य नियुक्त हुये। फेरे के चिन्तक जीवन के विकास को लैटिन अमेरिका के क्रान्तिकारी जन आन्दोलन ने बहुत गहराई तक प्रभावित किया है।