Authors : रविंद्रनाथ माधव पाटील
Page Nos : 180-185
Description :
आधुनिक युग में हिन्दी साहित्य अनेक रूपों में, अनेक विधाओं में हमें इच्छित स्थान पर सहजता से उपलब्ध होता है। लेखक पाठक व अन्य अपनी-अपनी तरह से अपने हित व उददेष्यों के लिए साहित्य का उपयोग करते है। मानव अपनी विषेशताओं से मास्तिश्क, ह्दय और भावना से युक्त, भाषायी शक्ति से युक्त अपनी सहजात वृत्तियों के अलावा कुछ खास गुणों से संपन्न है। जिसे वह अपने जीवन संघर्ष में विवेकबुदधी का उपयोग करते हुए ग्रहणषील और वर्जणषील बातों पर ध्यान केंद्रीत करके अपने वर्तन का निर्णायक स्वयं होता है। हिन्दी साहित्य में साहित्यकारोंने अपने व्यक्तिगत हित और प्रयोजनों को सुरक्षित रखकर मानविय मूल्यों को महत्व दिया है। जिसे पाष्चात्य विद्वान निकोलाई हर्टमेन ने अपने इथिक्स ग्रंथ के व्दितिय खंड में उध्त किया हैं। जो 1. जीवन, 2. चेतना, 3. सक्रियता, 4. दुःख बोध, 5. शक्ति, 6, वरण की स्वतंत्रता, 7. अंतदृष्टि, 8.उद्देश बतलाए गये हैै। 1 जिसका चित्रण आधुनिक हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं में मानव मूल्यों के रूप में किया गया है। साथ ही लिखित अलिखित साहित्य, धर्म, संस्कृति और आधुनिक युग में भारतीय संविधान आदि के नीति नियम भी मानव जीवन मूल्यों के रूप में अपनाता है।