Authors : पूनम सु. देबनाथ, सुनिता पं. बनसोड
Page Nos : 557-561
Description :
आधुनिक हिन्दी साहित्यकारो में श्रीमती ममता कालिया जी विषेश उल्लेखनिय है। उनके कथा साहित्य में नित्य नए विशयो के माध्यम से समाज के संम्मुख एक ऐसे चुनौतीका निर्माण कीया जाता है जहा मानव मन के हदयतल को झंकृत कर उसे नविन कल्पनाओ से सराबोर होने के लिए विवष कर देता हैै। समाज में घटीत समस्याओ को पहचानकर उनकी जडो तक पहुच, उसमे सुधारना कर एक सुदृढ समाज की निर्मीती करना ममता जी के साहित्य का मुल उद्येष्य होता है।
प्रस्तुत उपन्यास ‘पे्रम कहानी’ मे उन्होने कई समस्याओ को उजागर कीया है। जैसे प्रेमविवाह के दुश्परिणाम, परिवार द्वारा तय किए गए विवाह के दोश, घुसखोरी के चलते अन्यायपुर्ण व्यवस्था, कालाबाजारी के विघातक परिणाम एवं षोशीत समाज की व्यथा जैसे कई समस्याओ को लेकर समाज का व्यवस्थित रुप प्रस्तुत किया गाया है। समस्याओ के साथ उनके निराकरण भी अवष्य होते है। जिसकी सफल अभिव्यंजना कर एक सुदृढ समाज की निर्मीती के उद्येष्य से ममता कालीया जी का उपन्यास समाज को एक नई दिषा निर्दीश्ट करवाते है।